Mamta tiwari

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सनातन धर्म क्या है-?

धर्म के विषय में फैली भ्रांति.
सनातन धर्म क्या है-? 
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धर्म यानि धारण करना..... 
सत्य, सहभागिता, सहअस्तित्व, समानता, सद्भाव, सहयोग, संतोष, समन्वय,शांति, और  सचराचर सजीव निर्जीव के प्रति‌ प्रेम, करुणा दया,अपरिग्रह, यह नैसर्गिक धर्म है इन्हें सृष्टि रचयेता ने मानव,जीव जगत और सृष्टि के विकास रक्षण संवर्धन के लिए प्रतिपादन किया,हम भारतियों ने इन्ही गुणों को धारण कर धरती में प्रथम और अंतिम जीवन पद्यति को आत्मसात किया है।
आदि से अनंत होने से यह सनातन कहलाता है, 
     सनातन धर्म का प्रवर्तन सृष्टि रचेता ने स्वयं किया जिसे हम विधाता,या परमब्रह्म कहते है। वेअपने कई स्वरूपों में सृष्टि धर्म के अनुसार सुचालित हो इस व्यवस्था के लिए पृथ्वी पर अपने छटांश में अवतरित हो कर धर्म और न्याय सीखाते है, जिन्हें हम विभिन्न रूपों, नामों से पूजते है, ताकि हमें ज्ञात रहे, हम उनके बताए दिखाए मार्ग पर चलें। यही धर्म धारण करना है। 
       जो विधाता की बनाई सृष्टि को विनाश या अव्यवस्था की ओर ले जाए उन्हें साम दाम दंड भेद जिस भी रूप में समझे समझाया जाए।
मेरे कुछ आज के परिवेश में सामयिक विचार_____
1-मैं और मेरा धर्म मेरा ईश्वर श्रेष्ठ है, मेंरी जीवन शैली उत्तम है, 
तुम कहते हो मेरी श्रेष्ठ है,...हाँ  क्यों नहीं तुम भी श्रेष्ठ हो तुम अपने अनुसार मेरी ओर से जीने के लिए स्वतंत्र हो, मेरे धर्म के जीयो और जीने दो को धता बताते..... 
     तुम कहते हो तुम्हारे विचार अनुसार जीवन जीयूं,मेंरे मनाही पर मेरा जीवन धर्म परीवार छल, बल, हिंसा से छिन लोगे। तब
       ‌‌यहाँ अवतारी संदेश देते है, अहिंसा परमोधर्म तथापि धर्म हिंसा हिंसा न भवति........ 
2- कभी-कभी युद्ध और धरती के विनाश को रोकने के लिए वैचारिक और अस्त्रों, शस्त्रों समेत युद्ध करना पड़ता है। 
3- भारत संतों की भूमि है क्योंकि उपरोक्त धर्म को धारन किया हुआ है, परिस्थिति वश समयानुसार कई मत और परम्परा जन्म लेते हैं, वह उस समय की आवश्यकता होती है, उस मत के प्रवर्तक संत को ही ईश्वर मान परमविधाता से विद्रोह अपशब्द उनके अनुचर ,अनुगामी करने लगते हैं, उनकी बुद्धि की लघुता दूर‌ करने उचित शिक्षा, का प्रचार और शिक्षा केंद्र सामाजिक संस्था और सरकार करे।
4- सनातन धर्म प्रति पंथ संप्रदाय को अपना ही अंग मान अपनी उदारता, महानता विश्व बंधुत्व के कारण उचित सम्मान स्थान देता है। कुछ पंथ संप्रदाय इस मुल भावना को समझ सहअस्तित्व साथ सम्मान देते और प्राप्त करते हैं। 
कुछ पंथ सम्प्रदाय सनातन यानि(सद्भाव ,समन्वय)से दूर हो कर, सनातन के लिए दुर्भाव वैमनस्यता रखने लगते हैं। और अपने पंथ संप्रदाय प्रवर्तक को ही सृष्टि रचेता मान बैठते हैं।
5- कुछ तो देश काल जलवायु के कारण उत्पन्न परिस्थिति को धर्म मान लेते हैं, कहीं भूमि पर धनिया तक न उगता हो, वो मुर्दे को दफनाएंगे  नहीं तो क्या करेंगे, हमारे भारत में उपयोग से अधिक वन लकड़ी है हम जला देते हैं, और यह सही भी है भूमि की सद उपयोग और बचत है। इस प्रकार के अनगिनत उदाहरण है। 
________ममता तिवारी (छ.ग)

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5 Comments

Gunjan Kamal

13-Mar-2024 11:05 PM

👌👏

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kashish

09-Mar-2024 02:05 PM

V nice

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Varsha_Upadhyay

08-Mar-2024 09:48 AM

Nice

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